Sunday, August 3, 2014

यारोँ भूल ना जाना

यारोँ भूल ना जाना 


यारों  भूल ना जाना 
उन लम्हों को 
उन यादों को 
उन  बेतुकी  बातों को 
उन सिरफिरी यादों को 
कॉलेज के उन गलियारों को 
जान  छिड़कते यारों को 
क्रिकेट  में  हुइ हारों को 
 और रात के बियर के फवारो को 
यारों भूल ना जाना 
१०० रुपये जो उधार दिए थे 
जिन्हे दो दिन में लौटाने के सैकड़ों वादे किये थे 
उन कैंटीन के गरम चाय के प्यालों  को 
डिस्टिंक्शन में पास  के ख्यालों को 


यारों  भूल ना जाना 
गर्लफ्रेंड को दिए उन गुलाबों को 
संग जीने-,मरने वाले उन वादों को 
दिल टूटकर देवदास बने उन  यारों को 
और ब्रेक-अप पार्टी में पि देसी शराबों को 

यारों भूल  ना जाना 
पेपर में कॉपी किये उन सवालों को 
दीवारों पे लिखें हुए उन जवाबो को 
जूतों में छुपाये उन परचों को 
के टी निकालने की सेटिंग पे किये ख़र्चों को 
यारों भुल ना जाना 
उन कमीने दोस्तों की अनगिनत यादों को 
संग बिताये उन मस्ती भरे पलों को 
यादों में नम हुई इन आँखों को 
यारों भूल ना जाना ..
यारों भूल ना जाना......



-पवन    :)

No comments:

Post a Comment