यारोँ भूल ना जाना
यारों भूल ना जाना
उन लम्हों को
उन यादों को
उन बेतुकी बातों को
उन सिरफिरी यादों को
कॉलेज के उन गलियारों को
जान छिड़कते यारों को
क्रिकेट में हुइ हारों को
और रात के बियर के फवारो को
यारों भूल ना जाना
१०० रुपये जो उधार दिए थे
जिन्हे दो दिन में लौटाने के सैकड़ों वादे किये थे
उन कैंटीन के गरम चाय के प्यालों को
डिस्टिंक्शन में पास के ख्यालों को
यारों भूल ना जाना
गर्लफ्रेंड को दिए उन गुलाबों को
संग जीने-,मरने वाले उन वादों को
दिल टूटकर देवदास बने उन यारों को
और ब्रेक-अप पार्टी में पि देसी शराबों को
यारों भूल ना जाना
पेपर में कॉपी किये उन सवालों को
दीवारों पे लिखें हुए उन जवाबो को
जूतों में छुपाये उन परचों को
के टी निकालने की सेटिंग पे किये ख़र्चों को
यारों भुल ना जाना
उन कमीने दोस्तों की अनगिनत यादों को
संग बिताये उन मस्ती भरे पलों को
यादों में नम हुई इन आँखों को
यारों भूल ना जाना ..
यारों भूल ना जाना......
-पवन :)
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